कुछ गिर गए, कुछ गिरने को तैयार...फिर भी सौंदर्य बरकरार....यही तो प्रकृति का नियम है। जीवन भी इसी तरह से चलता है। प्रकृति का यह रूप आज यूनिवर्सिटी में देख रहा था। पत्तों के गिरने के बाद जब नई कोंपलें आएंगी तो प्रकृति का नया अंदाज़ होगा। ये रंग बदलती दुनिया और प्रकृति एक ही ढर्रे पर चलती है, लेकिन एक बात अजब देखी। प्रकृति के हर रूप में सौंदर्य विद्यमान है। नए पत्ते आएं तो भी और गिर जाएं तो भी। क्या ये बात सच है या मेरा वहम है।
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